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मेरा एक सपना था कि मैं जबलपुर के पिछड़े क्षेत्र में एक अस्पताल बनाऊ, जहां मैं लोगों को अच्छा एवं त्वरित इलाज, कम दामों में दे सकूं | अपने सपने के लिए, मुझे इसी क्षेत्र में रहकर मेडिकल की पढाई करनी थी | जब मैं मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था, तो देखता था कि लोग छोटी मोटी बिमारियों के लिए, नेपियर टाउन एवं राईट टाउन में स्थित अस्पतालों में जाते थे और उन्हें अपनी आर्थिक स्थिती से ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ता था | मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने शासकीय नौकरी कर ली, जिसमें मैं विक्टोरिया अस्पताल मे पदस्थ था | धीरे – धीरे मेरे पास, मेरे मौहल्ले एवं आस – पास के लोग, दिखाने एवं परामर्श लेने आने लगे | इसलिए मैंने अपने घर के सामने एक OPD प्रारंभ कर ली, जहां मैं केवल चिकित्सीय परामर्श देता था | धीरे – धीरे मैंने माइनर सर्जरी करने का सामान ले लिया एवं OPD में Abscess Drain करना, cyst निकालना, Foreign body निकालना प्रारंभ कर दिया | समय के साथ – साथ मेरे मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी, एवं मुझे एक इंडोर चिकित्सालय की आवश्यकता लगने लगी | इसलिए जिस स्थान ( जहां वर्तमान अस्पताल है ) पर मैं रहता था, वह छोड़कर मुझे दूसरा स्थान, रहने के लिए लेना पड़ा | घर खाली करने के बाद, मैंने वहां एक ऑपरेशन थिएटर एवं ५ पलंग का चिकित्सालय बनाया |

इस चिकित्सालय में, मैं मरीजों को भर्ती करके माइनर एवं मेजर सर्जिकल procedures करने लगा | समय के साथ – साथ मेरे मरीजों की संख्या बढ़ने लगी और मुझे एक बड़े इंडोर अस्पताल की आवश्यकता लगने लगी इसलिय मैंने अपने अस्पताल के बगल वाली जगह भी खरीद ली | लेकिन जगह को लेकर मुझे एक बड़ी न्यायिक लड़ाई लड़नी पड़ी, उसके बाद मैंने वहां पलंगो की संख्या बढ़ाकर १२ - १३ कर दी | २०१० मैं मैंने अपने चिकित्सालय को तोड़कर उसी स्थान पर " दुबे सर्जिकल एंड डेंटल हॉस्पिटल के नाम से २५ बिस्तरों वाला एक नया अस्पताल बनाया | जिसमें मेरी कोशिश हैं की मरीजों को उचित एवं सस्ता ईलाज प्राप्त हो सकें |